Anubhab Mowar

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लेखनी प्रतियोगिता -29-Dec-2022

हर सुबह उगता है सूरज, हर शाम ढलता है 

सोये हुए शख्स का भी, वक़्त चलता है 
साल होगा नया, जो करोगे नया कुछ वरना कैलेंडर तो, हर साल बदलता है

- अनुभव मोवार ' गुमनाम '

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5 Comments

बेहतरीन रचना

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Renu

30-Dec-2022 07:55 AM

👍👍🌺

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Zakirhusain Abbas Chougule

29-Dec-2022 04:09 PM

Nice

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